इस बात पर अवश्य ध्यान देना। थोड़ा अपने
को अच्छे से परख लेना कि कहीं आप डरे-डरे से तो नहीं रहते हैं? आपको आश्चर्य होगा कि
सौ में से निन्यान्वे लोग बड़े डरे-डरे से रहते हैं। और इसीलिए उनके जीवन में से मस्ती
गायब हो चुकी है।
खैर,
दूसरों की छोड़ो और स्वयं को चेक करो। क्योंकि आपकी पहली जवाबदारी आपके जीवन पुरती है।
सो, यदि आप सिद्ध न हो सकने वाली बातों पर भी विश्वास करते हैं तो आप जान लेना कि आप
डरे-डरे से रहते हैं। यदि कोई चीज आपको मजा दे रही हो फिर भी न कर पा रहे हों तो भी
समझ लेना कि आप डरे-डरे से जी रहे हैं। और यदि आप कोई भी कार्य खुलकर न कर पा रहे हों
तब तो यह पक्का जान लेना कि डर आपके जहन में एक बीमारी की तरह उतर चुका है।
...बात
यह समझ लो कि ये तीनों तरीके के डर निकाले बगैर आप ना तो मस्ती से जी सकते हैं और ना
ही कभी बड़ी सफलता हासिल कर सकते हैं।
- दीप त्रिवेदी
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