कोई
ऐसा इन्सान नहीं जिसमें अच्छाइयां और बुराइयां दोनों न हो। बुरे-से-बुरे इन्सान में
भी कुछ-न-कुछ अच्छाई होती ही है और अच्छे-से-अच्छे इन्सान से भी गलती हो ही सकती है।
तो फिर आप कैसे किसी इन्सान को अच्छा या बुरा कह सकते हैं?
आपको
तो सिर्फ इतना करना है कि हर इन्सान के अंदर मौजूद उसकी अच्छाइयों से संबंध रखने हैं।
बाकी रहा सवाल उसकी बुराइयों का तो उसका तो उसे ही भुगतना है। ...आपको उससे क्या?
- दीप त्रिवेदी
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