Saturday, August 16, 2014

जन्माष्टमी के उपलक्ष्य पर कृष्ण की वेदना


आज जन्माष्टमी के मौके पर इतना ही कहूंगा कि मुझे छोड़ो और गीता को पकड़ लो
         तुम्हारा उद्धार हो जाएगा।
         बात-बात पर मुझे क्यों परेशान करते हो?
         क्या भारत में पैदा होकर मैंने कोई गुनाह कर लिया है?
         जो व्यक्ति अपने पूरे 108 वर्ष के जीवन में कभी क्षणभर को भी किसी जगह
         किसी वस्तु या किसी व्यक्ति से नहीं बंधा
         उसे घर-घर व गली-गली में मंदिर बनाकर
         किस बिना पर आप लोगों ने बंद कर दिया है?
         खुद मुक्त नहीं हो सकते तो न सही, पर मुझे तो मुक्त करो
         मैं, जो जीते-जी हमेशा मुक्त आकाश में उड़ता रहा
         उसे मृत्यु के पश्चात् यह नजर-कैद क्यों?
         मेरे जीवन से कुछ सीख सकते हो तो सीख लो
         ...वरना कम-से-कम मुझे तो माफ करो।

- दीप त्रिवेदी


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