मैं
दुनिया का मालिक हूँ। आप जो-जो चीज अपनी बनाए बैठे हैं वे सारी-की-सारी मेरी ही हैं।
फिर दान, दक्षिणा या चढ़ावे के नाम पर मुझसे यह दिखावा क्यों? आपका है क्या जो चढ़ाकर
मुझे पटाने में लगे हुए हो?
यदि आपके
पास आपका कुछ है तो वह आपका स्वभाव है। बस उसमें से स्वार्थ, पक्षपात, भय, जलन, हीनता,
महत्वाकांक्षाएं वगैरह-वगैरह मुझे चढ़ा दो। मैं आपका उद्धार कर दूंगा। बाकी मुझमें इतनी
अकल तो है ही कि मेरा ही मुझे चढ़ाने का दिखावा करने वालों के साथ क्या करना। शक होता
हो तो आपकी दुनिया का हाल देख लो।
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दीप त्रिवेदी
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