मनुष्य के उद्धार हेतु न जाने कितनी पूजाएं, न मालूम कितने मंदिर-मस्जिद-चर्च, अनगिनत धर्म-शास्त्र, लाखों सामाजिक संस्थाएं और एन.जी.ओ, इन्सानियत की इतनी बातें और सुदृढ़ सामाजिक व्यवस्थाएं हैं, मनुष्य को शिक्षित करने हेतु लाखों स्कूल व कॉलेज हैं, फिर भी ऐसा क्यों हो रहा है कि हजारों में एक ही सुखी और सफल हो पा रहा है?
कारण खोजो, क्योंकि यह लंबा नहीं चल सकता है। और अगर मैं उसका सीधा कारण कहूं तो मनुष्य के जीवनोद्धार के लिए उपरोक्त में से किसी भी चीज की इतनी आवश्यकता नहीं, जितनी कि सायकोलोजिकल नॉलेज की है। लेकिन ना तो अच्छा सायकोलोजिकल ज्ञान उपलब्ध है और ना ही किसी को उसकी जरूरत महसूस हो रही है।
..बाकियों की छोड़ें। यदि आप मेरी बात समझ गए हों तो रोज आधा घंटा अच्छी सायकोलोजी पढ़ने की आदत डाल लें। मेरा विश्वास जानिए कि एक वही आपका उद्धार कर सकती है।
- दीप त्रिवेदी
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