Saturday, April 19, 2014

शौकरहित जीवन कोई जीवन है...?



कोई भी पेड़ दिखने में कब अच्छा लगता है? जब वह पत्तों और फल-फूलों से हरा-भरा हो। वैसे ही किसी-भी मनुष्य का जीवन तभी बेहतर हो सकता है जब वह कई निर्दोष शौकों का शौकीन हो। कोई चाहे लाख समझाए कि यह छोड़ो...वह छोड़ो, पर चक्कर में पड़ना ही मत। सिर्फ इतना समझ लेना कि शौक मनुष्य-जीवन के फल-फूल और पत्ते हैं। बिना फल-फूल व पत्तों का पेड़ कैसा लगता है? बस, बिना शौक के आपका जीवन वैसा ही हो जाएगा।

      हां, शौक पालने के सलीके जरूर सीख लेना। पहला तो यह कि आपके तमाम शौक अपने बलबूते पर होने चाहिए। दूसरा यह कि वे बिना किसी को हानि पहुंचाए पूरे होने चाहिए। और तीसरा यह कि किसी परिस्थितिवश शौक पूरे न किए जा सकते हों तो उसका दुःख न पकड़ना चाहिए। फिर चाहे जितने शौक पूरे करो, कौन रोकता है? ...बस शौक पालने तथा पूरे करने के नियम व सलीखे सीख लो।


-         दीप त्रिवेदी



                

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