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आप
मुझे सूली पर लटकाए जाने वाले दिन को गुड फ्राइडे के तौर पर मनाते हैं। अब आपका इसके
पीछे क्या लॉजिक है यह तो मैं नहीं जानता, परंतु मुझे अपने लॉजिक से यह ठीक जान पड़ता
है। क्योंकि मुझे सूली पर लटकाना ही वो टर्निंग पॉइंट था, ...जो आज मेरा संदेश पूरे
विश्व में फैल गया है।
सोचो
यह कि मेरी कष्टपूर्ण मृत्यु भी गुड फ्राइडे में कन्वर्ट हो गई। लेकिन आप लोगों का
क्या? आपको तो कोई सूली पर नहीं लटका रहा, फिर भी आपका जीवन इतने बैड फ्राइडे से क्यों
भरा हुआ है? क्योंकि आप कहने को तो मेरी राह पर चलने का नाटक कर रहे हैं, परंतु वास्तव
में आपलोग मेरे दिखाए मार्ग पर नहीं चल रहे हैं। और इसका सबूत यह कि मैं हंसते-हंसते
सूली पर लटक सकता हूँ और आप तमाम सुख-सुविधाओं के बावजूद हंसना भूल गए हो। सो, थोड़ा
मेरे दिखाए मार्ग पर गौर करो, थोड़ा अपने भीतर झांको कि क्या आप लोग वाकई मेरे दिखाए
मार्ग पर चल रहे हो? बस इस बाबत थोड़ी ईमानदारी बरतो, फिर देखो कि कैसे आपका पूरा जीवन
‘गुड फ्राइडे’ हो जाता है। और यह तय जानो कि जब तक विश्व का हर मनुष्य प्रेम और प्रसन्नता
से नहीं भर जाएगा, मैं गुड फ्राइडे नहीं मनाने वाला। अब यह तय आपको करना है कि मैं
कब गुड-फ्राइडे मनाऊं...।
- दीप त्रिवेदी
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