Sunday, April 20, 2014

क्या आप भी बात-बात पर सर पे हाथ रखकर बैठ जाते हो?


- ए भाई, यह सर पे हाथ रखकर क्यों बैठ गए हो।
 -  क्या करूं, जब भी खुश होता हूँ कि कोई-न-कोई उटपटांग कमेंट कर दिल दुःखा जाता है। जब भी अच्छे मूड में होता हूँ...कुछ-न-कुछ कर कोई मूड बिगाड़ देता है। सच कहूं तो...मैं तो दुनिया से ही तंग आ गया हूँ।
 -  लो, गलती अपनी और दोष दुनिया को।
    अरे मेरे दोस्त, दूसरा कोई तुम्हारा मूड खराब कैसे कर सकता है?
    कैसे कोई तुम्हें दुःखी कर सकता है? गलत मत बोलो...। दूसरा तो दुःख देने की या मूड खराब करने की कोशिश ही कर सकता है, परंतु उसकी बात या हरकत से दुःखी होना या नहीं, मूड खराब करना कि नहीं, यह तो तुम्हारे ही हाथ में होता है। अपनी उस अक्षमता के लिए तुम दूसरों को दोष नहीं दे सकते। दूसरे तो होते ही मूड खराब करने के लिए हैं। यदि तुमको खुश रहना है तो तुम्हें दूसरों की कोशिशों को नाकाम करते रहना सीखना ही होगा।

  - समझ गया! अब कोई मेरा मूड बिगाड़ कर दिखाए।

-         दीप त्रिवेदी

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