मूर्तिकार करता क्या है? वह पत्थर को काट-छांटकर
सारा अनावश्यक उसमें से निकाल देता है। और फिर वह पत्थर एक खूबसूरत मूर्ति का स्वरूप
धारण कर लेता है। यही कार्य सायकोलोजिकल बातें भी करती हैं। वे आपके मन में छिपी बुराइयों
को काट-छांट देती है। और एकबार मन में से बुराइयां छंट जाए तो वह तत्क्षण सुंदर, सरल
व शक्ति से भरपूर एक इंटेलिजेंट के स्वरूप में आ जाता है। और एकबार मन उस स्वरूप में
आ जाता है तो फिर जल्द ही जीवन भी सुख और सफलता की राह पर लग जाता है। अतः रोज आधा
घंटा अच्छी सायकोलोजी पढ़ने की आदत डालनी ही चाहिए।
- दीप
त्रिवेदी
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