क्या
कभी विश्व में ऐसा दिन आएगा कि अनगिनत शास्त्रों
की उलझी हुई बातों, उनके पाखंडों और क्रियाकांडों की जगह कृष्ण की गीता, क्राइस्ट की
बातें या बुद्ध, कबीर, मोहम्मद, सोक्रेटिज, लाओत्से वगैरह की बातों को सीधा सुना और
समझा जाएगा? यदि ऐसा हो जाएगा तो धर्म के नाम पर चलने वाली सारी दुकानें बंद हो जाएगी।
बिना कर्म किए ऐश करने वालों को किसी काम पर लगना पड़ेगा। और आम मनुष्य की बात की जाए
तो उसका जीवन सुख, सफलता और मस्ती से भर जाएगा।
उम्मीद
है कि इतने फायदे जानने के बाद आप सब अपने में यह परिवर्तन ले ही आएंगे। यूं भी जब
भगवान की बातें सीधे सुनी और समझी जा सकती है तो फिर पाखंडियों की बातें क्यों सुनना
और समझना?
- दीप
त्रिवेदी
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