आप
करते क्या हैं? जब दुःख या असफलता आती है, या फिर कुछ अप्रत्याशित बुरा घट जाता है
तो समय व भाग्य से लेकर भगवान तक को कोस डालते हैं। परिवार, समाज से लेकर बॉस तक को
गालियां दे देते हो। परंतु यह ध्यान रखो कि जब भी आपके साथ कुछ गलत होता है, गलती आपकी
ही होती है। अतः किसी अन्य को दोष देने के बजाए अपनी गलती खोजने में लग जाओ। भविष्य
में बच जाओगे।
वहीं
दूसरी गलत आदत आपकी यह है कि जब भी आपको सुख या सफलता मिलती है तब आप अहंकार से भर
जाते हैं। आप इसे अपनी कर्मठता और योग्यता का परिणाम मानते हैं। यहां भी आपको सावधान
होने की आवश्यकता है। जब भी कोई बड़ी सफलता मिले तब थोड़ा गौर कर लेना, आप पाएंगे कि
जो कुछ भी आपको मिला है वह आपकी योग्यता से कहीं ज्यादा है। इसमें प्रकृति से लेकर
समय व परिवार से लेकर मित्रों का सहयोग होगा ही। बस जिसका सहयोग नजर आए उसके प्रति
धन्यवाद व कृतज्ञता से भर जाना। इससे आपको सफलता का अहंकार पकड़ेगा ही नहीं। बस आपका
यह अहंकाररहित मन ही एक दिन जीवन में बड़ी सफलता की नींव डाल देगा।
यानी
कुल-मिलाकर असफलता मिलने पर स्वयं की गलती ढूंढ़नी है तथा सफलता मिलने पर सहयोग करने
वाले पर ध्यान देना है। यही दो आदतें आपके जीवन में सुख और सफलता की वर्षा कर देगी।
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दीप त्रिवेदी
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