रफी साहब जिनकी मृत्यु को आज 33 वर्ष
हो गए हैं, आज भी लोगों के दिलों पर राज कर रहे हैं। अति सरल रफी साहब जैसी आवाज शायद
न कभी आई है ना आसानी से फिर कभी आएगी। वे ठीक ही कहते थे कि मेरी आवाज में मेरा कुछ
नहीं, सब खुदा की मेहरबानी है।
भारत जो वर्षों से एक गरीब देश
रहा है, यहां फिल्में और फिल्मी गाने सदैव से मनोरंजन का सर्वश्रेष्ठ साधन रहे हैं।
और पुराने यानी पचास व साठ के दशक के फिल्मी गाने तो मानों लोगों के दिल में बस गए
हैं। और उस समय के दस में से नौ हीरो के लिए दस में से नौ गाने रफी साहब ने ही गाए
हैं। एक तो उनकी मिठास और ऊपर से खूबसूरत भाव! ...वाकई मनुष्य को इस जहां से उठाकर
उस जहां पर पहुंचा देते हैं। भारत में लाखों लोग रफी साहब को भगवान मानते हैं। उनके
तो कई घरों में मंदिर तक बनाए गए हैं। यह उनकी आवाज का जादू ही है जो आज उनकी मृत्यु
के 33 वर्ष बाद भी भारत के कोने-कोने में सालभर उनकी नाइट्स होती रहती है। सिंगर कोई
भी हो, गाने तो रफी साहब के ही होते हैं। मैं नहीं मानता कि इतना प्यार देश ने दिल
से और किसी को कभी दिया है। आज भी उनकी आवाज करोड़ों लोगों के सुख-दुख बांटती है।
ऐसे महान आवाज के जादूगर को याद
करना दिल को बड़ा सुकून पहुंचा रहा है। वाकई रफी साहब, आप का वह गाना सत्य बयां कर ही
गया था कि
तुम मुझे यूं भूला
ना पाओगे
जब कभी भी सुनोगे
गीत मेरे
संग मेरे तुम भी
गुनगुनाओगे।
रफी तुझे सलाम...।
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दीप त्रिवेदी
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