मैं हजारों वर्षों से आप लोगों को पृथ्वी पर
जीते हुए देख रहा हूँ। आनंद और मस्ती से जीने व सफलता पाने की क्षमता के साथ पैदा हुए
आप क्यों और कैसे दुःख और असफलता का जीवन जीने को बाध्य हो जाते हैं, इस बात का एक
मैं ही गवाह हूँ। निश्चित ही आप इसका राज जानना चाहेंगे और मैं यही बताने आज आपके सन्मुख
आया हूँ।
आप
अपने जीवन को सुख और सफलता से भरने हेतु शिक्षा, सलीका, ज्ञान सब हासिल कर लेते हैं।
भगवान से लेकर धर्म तक के दरवाजे खटखटा लेते हैं। सफलता हेतु साम, दाम, दंड, भेद भी
आजमा लेते हैं और मेहनत भी कर लेते हैं। परंतु जिनसे सीखना है उनसे नहीं सीखते हैं।
दरअसल
प्रकृति की व्यवस्था ऐसी है कि यहां इन्सान को व्यावहारिक ज्ञान सीखने हेतु बहुत ज्यादा
कुछ करने की आवश्यकता नहीं है, वो तो वह अनुभवों से अपनेआप पाता ही चला जाता है। वैसे
ही उसे सीखने हेतु भी कहीं जाने की जरूरत नहीं है, वह भी कुदरत ने अपने सारे क्रियाकलापों
से उसे सिखाने की व्यवस्था करी ही हुई है। उसे तो सिर्फ कुदरत की वस्तुओं पर नजर टिकाना
है, तथा उनके स्वभाव को अपनाना है। आगे तो उसका यह बदला स्वभाव ही उसको मंजिल तक पहुंचा
देता है।
उदाहरण
के तौर पर मैं अपनी बात करूं कि मुझसे क्या सीखने जैसा है। ...तो यह बताओ कि मस्ती
से जीने हेतु और सफलता पाने हेतु क्या चाहिए, ऊर्जा। ...और जो आपमें होती नहीं है।
आप बिना कुछ किए ही थके-थके से घूमते हैं। जबकि मुझे देखो, लाखों वर्षों से सबको रोशनी
भी दे रहा हूँ और सबको जीवन भी दे रहा हूँ, लेकिन मेरी ऊर्जा है कि चूकने का नाम नहीं
लेती है।
क्यों...?
बस यही रहस्य तो आपको जानना है। प्रकृति से जितनी चाहें उतनी ऊजार्र् मिल सकती है यदि
आप बिना स्वार्थ व पक्षपात के सबको बांटने की आदत डाल लें। मैं लाखों वर्षों से यही
कर रहा हूँ और फिर भी सबसे ज्यादा प्रकाशमान हूँ। आप भी यह स्वभाव अपना लें, मैं वादा
करता हूँ कि आप भी ऊर्जा से भर जाएंगे। और यह बढ़ी ऊर्जा एक दिन आपको सफलता के शिखर
पर भी पहुंचा देगी। मैंने आपको ऊर्जा का रहस्य बताकर अपना कर्तव्य पूरा किया। ...आगे
आपकी मरजी।
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दीप त्रिवेदी
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