Tuesday, April 1, 2014

एक कहानी जो बताएगी कि भाग्य क्या है!



एकबार एक व्यक्ति जंगल की सैर कर रहा था। वाइल्ड लाइफ में उसका रस भी था। खासकर शेर और बाघ के शिकार करने की पद्धति उसे बड़ी प्रिय थी। ...तभी उसे दूर से ही घूम रहे हिरण को घूरता हुआ एक शेर दिखा। ...यानी शिकार की घड़ी आ चुकी थी। लेकिन जाने क्या हुआ कि उस हिरण को आस-पास शेर होने की भनक लग गई। और भनक लगते ही उसने बड़ी जोर दौड़ लगा दी। यह देख अचंभित शेर ने भी उसके पीछे दौड़ लगा दी। लेकिन शेर की लाख कोशिश के बाद भी हिरण उसकी पकड़ में नहीं आया। शेर चुपचाप उदास मनोदशा में एक पेड़ के नीचे बैठ गया। यह देख वह व्यक्ति शेर को सांत्वना देने उसके निकट पहुंच गया। और फिर शेर को संबोधित करता हुआ बोला- आपका भाग्य ही खराब था।

          यह सुनते ही शेर क्रोधित हो उठा और फिर गुर्राते हुए बोला- यह भाग्य वगैरह की उलटी शिक्षा हम जानवरों को मत देना। हमलोग तो नाकाम होने पर अपनी गलती खोजने में विश्वास करते हैं। और आपको बता दूं कि हिरण मेरे हाथ से अति-आत्मविश्वास के कारण छूट गया। मैंने यह सोचकर कि कहां जाएगा, उसे कुछ ज्यादा ही समय दे दिया। लेकिन अपनी आज की गलती से मैंने सबक ले लिया। अब कभी शिकार को वक्त नहीं दूंगा। सो, भाग्य वगैरह की बात कर हम कर्मवादी जानवरों को तुम अपने जैसा कमजोर बनाने की कोशिश मत करो। यह सब तुम इन्सानों को ही मुबारक हो जो हर असफलता के लिए कभी भाग्य को तो कभी भगवान को दोष देते हो। अपनी नाकामी का ठीकरा कभी परिवार पर तो कभी समाज पर ढोलना तुम बुद्धिमानों को ही मुबारक हो। यहां मैं यह स्पष्ट कर दूं कि जीवन में हर नाकामी अपनी गलती से ही आती है। लेकिन चूंकि तुमलोग दूसरों को दोष देते हो इसलिए एक-की-एक गलती पचासों बार दोहराते हो। और यही तुम्हारे कष्टपूर्ण जीवन गुजारने का प्रमुख कारण है। इसलिए भाग्य को अपनी नाकामी छिपाने का बहाना मत बनाओ।

          बेचारा व्यक्ति! शेर को सांत्वना देने गया था, खरी-खोटी सुनकर वापस लौट आया। लेकिन आप उस शेर को अपना गुरु बना लो। हर नाकामी के पीछे अपना दोष खोजो और उस दोष को दूर करो, जीवन सुख और सफलता से भरता चला जाएगा।


 - दीप त्रिवेदी

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