Sunday, October 12, 2014

जंगल के शेर बने बगैर मुसीबतें देने वाले भागेंगे नहीं...।


आपने देखा ही होगा कि जिस जंगल में खुले व स्वतंत्र शेर घूमते हैं वहां किलोमीटर-के-किलोमीटर तक कोई मनुष्य नहीं फटकता है। लेकिन जैसे ही उस शेर को पिंजरे में बंद कर दिया जाता है कि इन्सानों की भीड़ लग जाती है।

      बस ऐसा ही मनुष्यजीवन में है। जो स्वतंत्रतापूर्वक जीता है उसके आस-पास से टोकने वाले, राय देने वाले, भलाई-बुराई करने वाले, कमेंट करने वाले, उसे परेशान करने वाले, उसे डिक्टेट करने वाले सब भाग जाते हैं। परंतु जो भी अपने को बंधनों में बांध पिंजरे में बंद कर लेता है कि इन सबकी भीड़ उसके आस-पास मंडराने लग जाती है। बस फिर वे जीना हराम कर देते हैं।

      मैंने जीवन का सत्य इशारे में समझा दिया, बाकी आप स्वयं समझदार हैं।

- दीप त्रिवेदी

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