Sunday, October 19, 2014

कुछ बड़ा करना चाहते हो तो कुछ बड़ा झेलने की तैयारी भी रखनी होगी।


यह बात अच्छे से समझ लो कि मनुष्य की सारी बाहरी सफलताएं फिर वह आप बड़ा व्यवसायी बनना चाहते हों या महान वैज्ञानिक, आप श्रेष्ठ कलाकार बनना चाहते हों या किसी और क्षेत्र में बड़ा नाम कमाना चाहते हों, परंतु उस हेतु पहले अपने भीतर तैयारी करना आवश्यक होता है।

      यदि आप मामूली से कष्ट से दुःखी हो जाते हों या जरा से भावनात्मक हमलों को नहीं झेल पाते हों, या आपमें अदना-सा अपमान भी झेलने की शक्ति नहीं तो आप जीवन में कभी कुछ बड़ा नहीं कर सकते हैं। यदि आप वाकई बड़ा आदमी बनना चाहते हों तो बड़े दर्द, बड़े दुःख व बड़े अपमान झेलना आपको सीखना ही होगा।

      दरअसल कुदरत की रचना ही ऐसी है कि यहां बड़े दर्द व बड़े अपमान झेले बगैर कोई बड़ा बन ही नहीं सकता है। फिर वह क्राइस्ट और बुद्ध हों या एडीसन और डिज्नी हों। और जो छोटे-मोटे दर्दों और अपमानों से पस्त हो जाता हो उसके बड़े दर्द या अपमान झेल पाने का सवाल ही नहीं उठता है। सो यूं ही दुनिया के थपेड़े खाने में उसका जीवन बीत जाता है।

      अतः यदि आप वाकई कुछ बड़ा करना चाहते हों तो आपको दुनिया के बड़े हमले झेलना भी सीखना ही होगा।

- दीप त्रिवेदी

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