Sunday, October 26, 2014

हम वो सेल्समेन हैं जिन्हें अपना सामान तक बेचते नहीं आता खुश क्या खाक रहेंगे...?


कोई भी दुकान सामान की गुणवत्ता पर कम और उसकी मार्केटिंग तथा सेल्समैनशिप पर ज्यादा चलती है। हमारा जीवन भी एक दुकान ही है जिसमें हमारे पास जो सामान उपलब्ध है उसी से हमें अपना दिल बहलाना होता है। परंतु हम कमाल के सेल्समेन हैं...। जो वस्तु या व्यक्ति हमारे पास है, उसकी हम कदर नहीं करते। लेकिन जो नहीं है, उसे अनमोल मानकर उसके पीछे भागते रहते हैं। और उसपर मजा यह कि उसे पाते ही वह हमारी नजरों में दो-कौड़ी की हो जाती है। और अगर गलती से कुछ खो जाए तब तो वह अति-मूल्यवान हो जाती है। यानी वस्तु हो या न हो, पाएं या खोएं...बस हम रोते ही रहते हैं। कभी फुर्सत मिले तो सोचना कि यह कैसी सेल्समैनशिप हुई?

- दीप त्रिवेदी

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