Saturday, October 18, 2014

हर सफल व्यक्ति ने पहले अपने को जीता है जबकि आप अपने से हारे बैठे हैं। सोचो, सफलता हाथ लगे भी तो कैसे?


आपका जगत को देखने-समझने का तरीका ही गलत है। तमाम शिक्षाएं भी जगत गलत तरीके से देखने की ही उपलब्ध है। वैसे तो आपकी सारी शिक्षाएं जगत को कैसे जीतना और जीवन में कैसे सफलता पाना यही सिखाती है; लेकिन सब भूल जाते हैं कि बाहर कोई भी जीत हासिल करने के लिए पहले अपने भीतर को जीतना जरूरी है। और यही कारण है कि अधिकांश सफल व्यक्ति अशिक्षित या कम शिक्षित हैं। फिर वह एडीसन हो या राइट ब्रदर्स हो, फिर वह वॉल्ट डिज्नी हो या कोई अन्य।

      ऐसा क्यों? तो ऐसा इसलिए कि उन्होंने अपनी जीवन-यात्रा स्वयं को जीतने से प्रारंभ करी थी। और स्वयं को जीता तभी वॉल्ट ने हजारों नाकामियों के बाद भी कार्टून व एनिमेशन के क्षेत्र में कुछ कर दिखाने का इरादा नहीं छोड़ा। वे तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद इतना दृढ़ इरादा टिकाए रख सके क्योंकि उन्होंने अपने को जीता हुआ था। वरना हमारी तरह दो-चार असफलता पाते ही वे भी क्षेत्र बदल लेते। और आज उनको कोई जानता भी न होता।

      वैसे ही एडीसन को देखो जो बल्ब हेतु फिलामेंट की खोज के वक्त सत्ताइस दिनों तक लेबोरेटरी में दिन-रात डटे रहे। न देश-दुनिया की खबर न परिवार से संपर्क। न मित्रों से गपशप न रूटीन की चिंता। अब जो अपने को इस कदर जीत चुका हो वह हजार से ऊपर प्रयोग तो कर ही लेगा। उस हेतु उसे किसी डिग्री की क्या आवश्यकता? और हम पांच किताब साल भर पढ़कर दसवीं से ग्यारहवीं में पहुंच रहे हैं। अब ऐसे में एक प्रयोग करना तो छोड़ो, प्रयोग समझने तक की क्षमता कहां है हम में? इसीलिए कह रहा हूँ कि सौ काम को छोड़कर पहले आप अपने को जीतने में लग जाओ, स्वयं को जीता हुआ व्यक्ति जगत तो स्वतः ही जीत लेता है।

- दीप त्रिवेदी

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