Friday, October 17, 2014

क्या आप हर मंजिल फतह करना चाहते हो? ...तो कुछ इस तरह चलो


हर आदमी बड़ा बनना चाहता है। इस हेतु पूरे प्रयास भी करता है। असफलता किसी को पसंद भी नहीं। और यही कारण है कि सफलता पाने हेतु हर कोई कुछ भी कर गुजरने को तैयार रहता ही है। केपेसिटी की भी इतनी समस्या नजर नहीं आती है। फिर क्यों हजारों में एक सफल है?

      ...फिर बकवास कर दी ना आपने। कोई भाग्य या भगवान इस हेतु जवाबदार नहीं है। उन्हें और भी कई अच्छे व बड़े काम हैं। सीधी बात तो यह है कि मंजिलें सर करने के नियम बने ही हुए हैं, नियम से चलो और जीवन में एक के बाद एक मंजिल फतह करते चले जाओ। ...कौन रोकता है?

      और वह नियम यह है कि निगाह मंजिल पर रखने की बजाए राह पर रखो। लंबी मंजिलें एक-एक कदम कर तय की जाती हैं, और जो मंजिल के सपने देखेगा वह राह में ही गिर जाएगा। और यह तो सभी जानते हैं कि घायल राही मंजिल तक नहीं पहुंचता है।

      अतः हर बढ़ते कदम पर निगाह रखो। हर कदम परफेक्ट उठाओ और हर उठाए कदम का आनंद लो। मेरा विश्वास जानो आपको मंजिल के सपने देखने की कोई जरूरत नहीं पड़ेगी। ...आप हंसते-गाते मंजिल तक या शायद उससे भी कहीं आगे बड़ी आसानी से पहुंच जाएंगे।

- दीप त्रिवेदी

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