Friday, October 3, 2014

आपकी सारी डिग्रियां मैनेजमेंट ऑफ सेल्फ की डिग्री के बगैर बेकार है...।


आप जीवन में कितनी ही डिग्रियां ले लें, चाहे एक-से-एक मैनेजमेंट के कोर्स ही क्यों न कर लें, बड़ी-से-बड़ी युनिवर्सिटी में क्यों न पढ़ लें; परंतु यदि आपके पास मैनेजमेन्ट ऑफ सेल्फ की डिग्री नहीं तो आप जीवन में कुछ नहीं कर पाएंगे। आप कहेंगे भाई यह कौन-सी डिग्री है और कहां मिलती है?

   ...तो पहले तो यह मैनेजमेंन्ट ऑफ सेल्फ क्या होता है यह समझ लें। मैनेजमेंट ऑफ सेल्फ का अर्थ होता है खुद को मैनेज करने की कला। मानो आपको कोई चिंता पकड़ी तो आपको यह मैनेज करनेे आना ही चाहिए कि उससे जल्द-से-जल्द छुटकारा कैसे पाया जाए। आपको क्रोध पकड़े तथा सर पर पागलपन सवार हो जाए तो आपको यह क्रोध का पागलपन कुछ बड़ा नुकसान कर बैठे उससे पहले उसे नियंत्रित करने का मैनेजमेंट आना ही चाहिए। वरना तो आप जानते ही हैं कि चिंता, क्रोध या दुःख की मनोदशा में कोई डिग्री काम नहीं आती। सारा सीखा धरा-का-धरा रह जाता है। अतः यह अपने को मैनेज करने आना जरूरी है। और इस अपने को मैनेज करने की कला को ही मैनेजमेंटऑफ सेल्फ कहते हैं।

   अब रहा सवाल यह कि ये डिग्री मिलती कहां है? तो इसका कोई इस्टीट्यूट नहीं है। क्योंकि यह डिग्री मनुष्य को अपने भीतर से स्वयं हासिल करनी होती है। यानी यह डिग्री आपको खुद ही स्वयं को देनी होती है। और यह डिग्री पाने हेतु जरूरी है कि आप रोज आधा घंटा अच्छी सायकोलोजी पढ़ें और फिर दूसरा आधा घंटा अपने साथ एकान्त में बैठकर उसपर मनन करें। बस रोज इस तरह एक घंटा अपने भीतरी बदलाव के लिए बिताकर जल्द ही आप अपने भीतर से मैनेजमेंट ऑफ सेल्फ की यह डिग्री पा सकते हैं।

   सो आप आज से ही शुरू हो जाएं। क्योंकि इस डिग्री के बगैर आपके अथक मेहनत व प्रतिभा से पाई दूसरी डिग्रियां भी अर्थहीन हुई जा रही हैं।

- दीप त्रिवेदी

No comments:

Post a Comment