Friday, November 21, 2014

दुःख, परेशानियां, संकट व संघर्ष तो जीवन में हैं और आते ही रहेंगे। लेकिन इसका सही उपाय करने से आप इन सबसे बच सकते हैं।


हमारी समस्या यह है कि हम कुदरत की रचना समझने को तैयार ही नहीं होते। कुदरत की रचना ही ऐसी है कि यहां मनुष्य का एक अपने अलावा किसी पर जोर नहीं। लेकिन हम यह सत्य समझे बगैर दूसरे मनुष्यों से लेकर परिस्थितियों तक सब पर जोर आजमाते रहते हैं। परिणाम में हमारे दुःख और टेन्शन बढ़ते चले जाते हैं। इसके बजाए हम सिर्फ अपने पर जोर आजमाना शुरू कर दें तो रातोंरात हमारी अधिकांश समस्याओं का हल निकल आए।

      मानो कोई आपका अपमान कर रहा है, तो आप उस पर जोर आजमाना शुरू हो जाते हैं। वह इसे अपनी सफलता मान दो-गुना अपमान करने पर उतारू हो जाता है। आप क्रोधित, दुःखी और नाराज हो उठते है। अब यह दुःख, क्रोध और नाराजगी अकारण है। आप अपने पर जोर-आजमाइश करके इससे बच सकते हैं। आप अपने को यह समझा ही सकते हैं कि वह पागल और नासमझ है। उसकी बातों को या उसके व्यवहार को गंभीरता से लेने की आवश्यकता ही क्या? इस तरह आप इस संभावित दुःख और क्रोध से बच सकते हैं।

      और ऐसा एक-दो नहीं सभी मामलों में है। आपका जोर सिर्फ अपने पर है और यह सत्य समझकर आपको अपने को ही सेट करना है। और यह तो आपको करना ही रहा क्योंकि यह करते न आने के कारण दुःख और कष्ट भी आपको ही सहने पड़ रहे हैं।

- दीप त्रिवेदी

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