Saturday, November 29, 2014

आप अपने लिए कुछ कब करोगे?


-     यह फिर उलटी बात कह दी आपने। अरे, दिन-रात इतनी मेहनत हम किस के लिए कर रहे हैं? 
-     नहीं भाई, मैं कोई उलटी बात नहीं कह रहा हूँ। यह तो आपकी हरकतें देख शक होता है। मुझे ऐसा लगता है कि आप अच्छे कपड़े दूसरों से बेहतर दिखने हेतु तथा उनपर छाने हेतु पहनते हैं। अच्छे मार्क्स भी दोस्तों पर रुआब झाड़ने हेतु लाना चाहते है। शानदार घर व उसका शानदार इंटीरियर भी सबकी आंखों में छा जाने हेतु ही करवाते हैं। आपके गृहप्रवेश के फंक्शन का यही तो मकसद होता है कि सबको बुलाकर दिखा दें कि क्या शानदार घर बनाया है आपने।
-     यह सब तो आप ठीक कह रहे हैं, पर सच कहें तो उसका भी अपना एक मजा है।
-     नहीं...नहीं! ...वह जो मजा दिख रहा है वह अहंकार है। और अहंकार वास्तव में कभी खुशी नहीं दे सकता। आप को भी अनुभव होंगे ही कि फिर कोई घर में दो नुक्स निकाल देता है तो कितना कष्ट होता है। पार्टी का ही नहीं, घर बनवाने तक का मजा हिरण हो जाता है। नई शानदार ड्रेस पहनकर पार्टी में पहुंचे हैं और एक ने भी तारीफ नहीं की तो दिल पर क्या बीतती है, यह किसी और को बताने की जरूरत नहीं। सो, अच्छे वस्त्र पहनना हो या अच्छे मार्कस लाना हो, नई गाड़ी खरीदनी हो या नया घर बनवाना हो; जब यह सब आप सिर्फ अपनी खुशी के लिए करना प्रारंभ कर देंगे तभी आप इस मनुष्यजीवन को दिल से जीने का मजा ले पाएंगे। ...वरना आज तो आप इतनी मेहनत कर बड़े उत्साह से कुछ एचीव करते हैं और दूसरा क्षणभर के एक कमेंट से आपका पूरा नशा हिरण कर जाता है। अतः दूसरों को दिखाने या दूसरों पर छाने के चक्कर में आप वास्तव में खुश हो ही नहीं पाते हैं। सो, अब हर कार्य अपनी खुशी के लिए करो। यह डबल घाटे का सौदा जीवन में पोसा नहीं सकता है।

- दीप त्रिवेदी

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