यह क्या जिसे देखो बात-बात पर अहंकार...? मैंने
यह किया-मैंने वह किया। मैं ऐसा हूँ-मैं वैसा हूँ। अरे! आप हैं क्या और आपने करा क्या
है? जब से पैदा हुए हो कुदरत का खा-खाकर वजन बढ़ा रहे हो। हजारों वैज्ञानिकों के ईजाद
किए उपकरणों का उपयोग कर रहे हो। लाखों कलाकारों की कला का आनंद उठाकर सुकून पा रहे
हो। आपने किया क्या है? दो-चार जरूरतमंदों की गलती से सहायता कर दी, या किसी के कुछ
काम निपटा दिए। या फिर नई गाड़ी-नया घर खरीद लिया।
...चलो
कुछ तो किया। परंतु इसमें बार-बार तनने की बात क्या है? सुनाने की बात क्या है? क्या
कभी एडीसन ने आपसे आकर कहा कि यह बल्ब मैंने खोजा है? क्या कभी बेंजामिन फ्रैंकलिन
ने आकर कहा कि यह इलेक्ट्रिसिटी मैंने खोजी है? क्या कभी बिथोवन ने आकर कहा कि यह जो
प्यारी सिम्फोनी का आप मजा ले रहे हो वह मैंने बनाई है? उन्हें कोई अहंकार नहीं कि
यह उन्होंने किया है। और इसीलिए वे इतने महान कार्य कर पाए हैं।
ध्यान
रख लेना कि अहंकार इस बात का सबूत है कि आप अब इससे ज्यादा कुछ नहीं कर सकते हैं। सो,
दूसरे शब्दों में कहूं तो जीवन में कुछ बड़ा करना चाहते हो तो ये छोटे-मोटे अहंकार पालना
छोड़ दो। वरना जब और जिस चीज के लिए अहंकार पालोगे, वह आपके बढ़ने की लिमिट हो जाएगी।
- दीप त्रिवेदी
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