Sunday, May 11, 2014

मदर्स-डे पर विशेष बात-बात पर इन्सल्ट सह रही एक माता का दर्द


मैं तीन बच्चों की माता हूँ। माना मैं मॉडर्न नहीं, यह भी माना कि मुझे जमाने के साथ चलना नहीं आता, परंतु मुझे बच्चों को पालने तथा उनकी जरूरतें समझना भलीभांति आता है। उन्हें प्यार देना आता है। उनके लिए एक-से-एक उनकी मनपसंद वानगियां बनाना आता है। परंतु न जाने क्यूं बच्चे मेरी अवज्ञा करते रहते हैं। दोस्तों से मिलवाने में शरम महसूस करते हैं। मुझे कहीं अच्छी जगह ले जाने लायक नहीं समझते हैं। माना वे ज्यादा समझदार और पढ़े लिखे हैं, परंतु क्या उन्हें इस मुकाम पर पहुंचाने में मेरा योगदान नहीं? सच कहूं तो मुझे आजकल उनका यह व्यवहार बड़ा दुःख पहुंचाता है। होगा, अपने ही बच्चे हैं सोचकर यह गम सह लेती हूँ।
 
      परंतु किसी भी माता के लिए यह दर्द अच्छा नहीं। यदि आपकी मां को भी आपसे ऐसा कोई दुःख पहुंच रहा हो तो आज मदर्स-डे पर अपनी सोच और व्यवहार बदलकर उसे इस दर्द से छुटकारा दिलवा दो। मदर्स-डे पर एक मदर को इससे अच्छी गिफ्ट नहीं हो सकती है।
 
      - दीप त्रिवेदी

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