इस हेतु आपके दो स्वभाव प्रमुख रूप से जवाबदार हैं। पहला
हैः
स्वार्थ - स्वार्थ में कांटे भी फूल नजर आने लगते हैं। पता
चुभने पर ही चलता है, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी होती है।
और दूसरा हैः पक्षपात - हर तरीके का पक्षपात सत्य जानने में
बाधक है। और सत्य जाने बगैर ठीक नतीजे पर कभी नहीं पहुंचा जा सकता है।
बस
आप दुःखी और असफल हैं तो अपने उपरोक्त दोनों गुणों पर गौर कर लेना। ईमानदारी से अपना
निरीक्षण करने पर आप अपने को छोटे-मोटे हजार मामलों में स्वार्थी और पक्षपाती पाएंगे।
...वरना तो सुख और सफलता मनुष्य का भाग्य होता ही है।
- दीप त्रिवेदी
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