Friday, May 30, 2014

आप स्वीकारना सीख क्यों नहीं जाते?


आपको संघर्ष करते रहने की ऐसी आदत पड़ गई है कि जहां संघर्ष की जगह नहीं वहां भी संघर्ष पर उतारू हो जाते हैं। अब मुझे यह बताओ कि जो घटना घट ही चुकी है, फिर चाहे वह किसी अजीज की मृत्यु हो, व्यवसाय का घाटा हो या कुछ भी अन्य क्यों न हो, परंतु क्या जो घट चुका है उसे अनघटा किया जा सकता है? नहीं, तो फिर क्यों उसका महीनों और वर्षों मातम मनाते रहते हो? चुपचाप उसे स्वीकारकर आगे की क्यों नहीं सोचते? 

- दीप त्रिवेदी


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