Monday, October 28, 2013

बिल गेट्स के जन्मदिवस पर विशेष


28 अक्टूबर 1955 को बिल गेट्स का जन्म हुआ था। वे कितने बड़े धनपति हैं या उनकी माइक्रोसॉफ्ट का स्टेटस क्या है; यह किसी को बताने की जरूरत नहीं। परंतु आज उनके जन्मदिवस पर मैं उनके गुणों की चर्चा करना चाहता हूँ। क्योंकि मेरा यह दृढ़ विश्‍वास है तथा सत्य भी यही है कि मनुष्य को महान व सफल उसके गुण ही बनाते हैं। मनुष्य महान और सफल किसी के आसरे, या किसी के आशीर्वाद से नहीं बन सकता है। और बिल गेट्स यह बात कम उम्र में ही समझ गए थे। उनका भगवान या भाग्य पर बिल्कुल विश्‍वास नहीं था। तथा जमीनी हकीकत भी यही है कि जो सफलता के लिए भगवान या भाग्य के आसरे नहीं रहता उसे हरहाल में सफलता पाने हेतु स्वयं के आसरे ही आगे बढ़ना होता है। …यही बिल गेट्स ने किया। लेकिन एकबार अपने बलबुते पर सफलता पा ली और धन के शिखर पर जा बैठे तो फिर वे लाखों-करोड़ों व्यक्तियों के आसरे जरूर बने। उनकी चैरिटेबल गतिविधियों से कोई अनजान नहीं है। उन्होंने अपनी अधिकांश पूंजी चैरिटी में दी हुई है।
यहां उनसे सीखने का यही है कि सफल हमें अपने बल पर होना होता है। उस हेतु भाग्य या भगवान का आसरा नहीं खोजना है। …परंतु एकबार सफल हो गए तो भगवान को नहीं भूलना है। फिर भगवान की तरह सबसे बराबरी का प्यार करना है और हो सके उतनी सबकी सहायता करनी है। यही धर्म की सही परिभाषा है। बुद्ध ने भी ज्ञान स्वयं के बल पर ही पाया। फिर उस ज्ञान से दुनिया को रोशन कर दिया। तभी तो बुद्ध भगवान के अस्तित्व से इन्कार करते थे। क्योंकि यदि भगवान का नाम आसरा खोजना है, तब तो भगवान नहीं ही है। परंतु हम उलटा करते हैं, सफलता हेतु भगवान व भाग्य पर निर्भर रहते हैं तथा गलती से कुछ हासिल हो जाए तो किसी का खयाल नहीं रखते। सबकुछ अपना मान अपने पर ही उड़ाते हैं। …बस इसीलिए हम बिल गेट्स नहीं हो पा रहे हैं। हम समझते हैं कि आशीर्वाद और भाग्य तो भगवान के पर फल हमारा। जबकि बिल गेट्स सिखाते हैं कि मेहनत हमारी और फल पूरे संसार का। यही सच्ची धार्मिकता है। धार्मिकता ईश्‍वर में विश्‍वास करने या न करने से सिद्ध नहीं होती है, बल्कि धार्मिकता ईश्‍वर-सा व्यवहार करने से सिद्ध होती है। और इसीलिए बिल गेट्स भगवान में न मानकर भी धार्मिक हैं, और करोड़ों-करोड़ों लोग मंदिर-मस्जिद या चर्च जाकर भी अधार्मिक-के-अधार्मिक ही हैं।

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