- अरे भाई आप कौन हैं?
जाने-पहचाने से लगते हो
- मुझे भूल गए?
मैं आपका बचपना हूँ।
- हां तो अब यहां क्या कर रहे हो?
अब मैं बड़ा और गंभीर हो गया हूँ।
- लेकिन गंभीरता तो एक रोग है
जबकि मैं एक जादू हूँ
आप बड़े होने की बात करते हैं
मैं तो मरते दम तक छोड़ने लायक चीज नहीं।
वरना मैं तो इतना खतरनाक हूँ कि मुझे छोड़ने वालों को
मैंने भरी जवानी में बूढ़ा बना दिया
और मुझे पालने वालों के…
उनके तो मैंने बुढ़ापे में भी वारे-न्यारे करवा दिए।
No comments:
Post a Comment