आज टीचर्स डे है। आज मुझे एक ऐसी टीचर की याद आ रही है जिसने इतिहास रच डाला। मैं बात ऐन की कर रहा हूँ। शायद आपने इस महान टीचर का नाम न सुना हो, परंतु आपने हेलेन केलर का नाम तो जरूर सुना होगा। आप यह भी जानते ही होंगे कि हेलेन एक वर्ष की उम्र में ही बोलने, सुनने व देखने की क्षमता खो चुकी थी।
सात वर्ष की उम्र में इस नन्हीं हेलेन की मुलाकात ऐन से हुई। उस समय चौदह वर्षीया ऐन अंधे बच्चों के एक स्कूल में पढ़ा रही थी। पहली नजर में ही ऐन को हेलेन बड़ी प्रतिभावान जान पड़ी। बस उसने हेलेन को शिक्षित करना तय किया। और आप मानेंगे नहीं कि शब्दों का वस्तुओं से ताल्लुक कराने से प्रारंभ हुई हेलेन की इस शिक्षा ने जल्द ही रंग दिखाना शुरू किया। ऐन के प्रेम, लगन और विश्वास के सहारे हेलेन ने ना सिर्फ ग्रेजुएशन पूरा किया, बल्कि इस दरम्यान टाइपिंग भी सीखी। यही नहीं, हेलेन ने स्वयं टाइप कर कुल 12 भिन्न-भिन्न पुस्तकों में अपने विचारों को अभिव्यक्त भी किया। और-तो-और, हेलेन समाजवादी विचारधारा से इतना प्रभावित हुई कि इस विषय पर उन्होंने विश्व के अनेक देशों में अपने विचार भी रखे। हेलेन मशहूर तो इतनी हो गई कि अमेरिका के कुल 12 प्रेसिडेंट से उनका संवाद स्थापित हुआ। उस समय विश्व की ऐसी कौन-सी हस्ती थी जो हेलेन से मिलने को लालायित नहीं रहती थी? ऐसा कौन-सा देश था जो हेलेन को सम्मानित कर धन्य नहीं हो जाता था। और क्यों न हो, सफलता के ये सारे झंडे एक ना बोल, ना सुन, ना देख सकने वाली बच्ची ने गाड़े थे।
सवाल यह कि इसमें जितना योगदान हेलेन की प्रतिभा का था, उससे कम योगदान उनकी टीचर ऐन का नहीं था। यहां तक कि हेलेन को पढ़ाने के चक्कर में ऐन ने विवाह भी चालीस वर्ष के होने पर किया। यानी लगातार 26 वर्ष तक हेलेन को शिक्षित करने के बाद। अब जब एक टीचर की ऐसी लगन होगी, और उसे अपने शिष्य पर इस कदर भरोसा होगा, तो इतिहास तो रचा ही जाएगा।
इस पूरी चर्चा के पीछे मेरा उद्देश्य यही कि जब ऐन...न सुन, न देख, न बोल सकने वाली लड़की की प्रतिभा को इस कदर निखार सकती है, तो क्या आजकल के ये टीचर हमारे सामान्य बच्चों की प्रतिभा को नहीं निखार सकते? आज के इस टीचर्स डे पर मैं टीचरों से ऐन की लगन से सीखने की उम्मीद रखता हूँ। क्योंकि वह टीचर ही है जो बच्चों की प्रतिभा निखारकर उसे एक ऐतिहासिक व्यक्ति बना सकता है।
सात वर्ष की उम्र में इस नन्हीं हेलेन की मुलाकात ऐन से हुई। उस समय चौदह वर्षीया ऐन अंधे बच्चों के एक स्कूल में पढ़ा रही थी। पहली नजर में ही ऐन को हेलेन बड़ी प्रतिभावान जान पड़ी। बस उसने हेलेन को शिक्षित करना तय किया। और आप मानेंगे नहीं कि शब्दों का वस्तुओं से ताल्लुक कराने से प्रारंभ हुई हेलेन की इस शिक्षा ने जल्द ही रंग दिखाना शुरू किया। ऐन के प्रेम, लगन और विश्वास के सहारे हेलेन ने ना सिर्फ ग्रेजुएशन पूरा किया, बल्कि इस दरम्यान टाइपिंग भी सीखी। यही नहीं, हेलेन ने स्वयं टाइप कर कुल 12 भिन्न-भिन्न पुस्तकों में अपने विचारों को अभिव्यक्त भी किया। और-तो-और, हेलेन समाजवादी विचारधारा से इतना प्रभावित हुई कि इस विषय पर उन्होंने विश्व के अनेक देशों में अपने विचार भी रखे। हेलेन मशहूर तो इतनी हो गई कि अमेरिका के कुल 12 प्रेसिडेंट से उनका संवाद स्थापित हुआ। उस समय विश्व की ऐसी कौन-सी हस्ती थी जो हेलेन से मिलने को लालायित नहीं रहती थी? ऐसा कौन-सा देश था जो हेलेन को सम्मानित कर धन्य नहीं हो जाता था। और क्यों न हो, सफलता के ये सारे झंडे एक ना बोल, ना सुन, ना देख सकने वाली बच्ची ने गाड़े थे।
सवाल यह कि इसमें जितना योगदान हेलेन की प्रतिभा का था, उससे कम योगदान उनकी टीचर ऐन का नहीं था। यहां तक कि हेलेन को पढ़ाने के चक्कर में ऐन ने विवाह भी चालीस वर्ष के होने पर किया। यानी लगातार 26 वर्ष तक हेलेन को शिक्षित करने के बाद। अब जब एक टीचर की ऐसी लगन होगी, और उसे अपने शिष्य पर इस कदर भरोसा होगा, तो इतिहास तो रचा ही जाएगा।
इस पूरी चर्चा के पीछे मेरा उद्देश्य यही कि जब ऐन...न सुन, न देख, न बोल सकने वाली लड़की की प्रतिभा को इस कदर निखार सकती है, तो क्या आजकल के ये टीचर हमारे सामान्य बच्चों की प्रतिभा को नहीं निखार सकते? आज के इस टीचर्स डे पर मैं टीचरों से ऐन की लगन से सीखने की उम्मीद रखता हूँ। क्योंकि वह टीचर ही है जो बच्चों की प्रतिभा निखारकर उसे एक ऐतिहासिक व्यक्ति बना सकता है।
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