Monday, September 23, 2013

चिंतन जरूरी है कि केन्या तथा पाकिस्तान में हुए आंतकी हमले से आतंकियों को हासिल क्या हो रहा है! ये लोग थोड़ी-सी भी बुद्धि लगाएंगे तो पाएंगे- वे ही घाटे में रहते हैं।

निश्चित ही हर प्रकार की कट्टरता दुर्भाग्यपूर्ण है। परंतु धर्म के नाम पर की जाने वाली कट्टरता से बढ़कर और कोई पागलपन हो ही नहीं सकता। क्योंकि धर्म तो मनुष्य को मनुष्य समझकर विचारों की स्वतंत्रता देता है। जो भी धर्म के नाम पर मनुष्य के विचारों को बांधना चाहे वह धर्म नहीं कट्टरता ही है। और हर कट्टरता का परिणाम हमेशा खुद ही के लिए नाशक होता है।

यदि केन्या पर हमला करने वाले आंतकी यह समझते हैं कि हमने गैर-मुस्लिमों को मारा या पाकिस्तान के पेशावर में उन्होंने गैर-मुस्लिमों को निशाना बनाया... तो थोड़ा वे उसका अंतिम परिणाम भी देख लें। अफगानिस्तान, इराक, मिस्र, सीरिया और तमाम मुस्लिम देशों में हर वर्ष लाखों मुस्लिम ही मुस्लिमों द्वारा मारे जा रहे हैं। क्योंकि कट्टरता का अर्थ ही मनुष्य से दुश्मनावट की मानसिकता है। और एकबार यह मानसिकता बन गई फिर कुछ नहीं हो सकता। बाहर के न मिले तो अपने ही सही, पर मारना जरूरी है।


और यह एक नहीं हर कट्टरता का अंतिम परिणाम है। क्योंकि ध्यान रखना कि कोई मनुष्य कट्टर नहीं होता, कट्टरता उसकी मानसिकता होती है तथा मानसिकता एक लिमिट के बाद कुछ नहीं समझती। मारना है तो मारना है।

अतः सभी मुसलमान सावधान हो जाएं। ऐसी कट्टरता से बचें भी और इनकी जमकर भर्त्सना भी करें। मनुष्य-जीवन एक खूबसूरत अवसर है जीने का, प्रेम करने का; अतः अपने जीवन के मकसद से मत भटकें। वहीं बाकी धर्म वाले भी सावधान रहें। अपने यहां कट्टरता पनपने से पहले ही उसे दफना दें। यह हमेशा ध्यान रखें कि हर प्रकार की कट्टरता का अंतिम परिणाम स्वयं का विनाश ही होता है।





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