मुझे कम-से-कम इस बात का संतोष है कि मेरी वेदना पूरे देश ने जानी। राहत इस
बात की भी है कि कानून ने चार बालिगों को उनके मुकाम पर पहुंचाने की सजा
भी सुना दी। लेकिन अब मैं सिर्फ निर्भया नहीं रही; अब मैं हर पीड़ित लड़की
की आत्मा हो चुकी हूँ। अतः देश और देशवासियों से यह निवेदन है कि एक इन्साफ
पाकर थम मत जाना। यह जान ही लेना कि हर पीड़ित एक निर्भया है, उसकी वेदना
भी पहचानना और उसके बदहवासों को भी फांसी तक पहुंचाना…तभी यह सिलसिला
थमेगा। यह मत समझना कि एकबार जागने या एक केस में त्वरित इन्साफ हो जाने से
सबकुछ ठीक हो जाएगा। नहीं, आपको हर ऐसे हादसे के बाद इसी तरह जागना होगा
और कानून को भी हर बार ऐसी ही स्फूर्ति दिखानी होगी। …तब जाकर लोगों को समझ
में आएगा कि आधे घंटे की बदहवासी और फांसी…। नहीं, अब नहीं करना है-
बदहवासी बड़ी महंगी पड़ रही है। सो उम्मीद करती हूँ कि जो इन्साफ मुझे मिला
है, हर-एक को मिलेगा और तबतक मिलता रहेगा जबतक कि यह सिलसिला थम नहीं
जाता।
© Daily Blog @ www.deeptrivedi.com
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