यह प्रसिद्ध कृपालु महाराज के प्रतापगढ़ (यू.पी.) में स्थित आश्रम के एक
हादसे की बात है। यह हादसा 4 मार्च 2010 को हुआ था। और हादसा यह कि आश्रम
में मनाए जा रहे एक फंक्शन के दरम्यान मची भगदड़ में 63 लोग मारे गए थे।
निश्चित ही यह बहुत बड़ी बात होती है। उस समय मायावती यू.पी. की मुख्यमंत्री
थीं। उन्होंने तुरंत इस हादसे हेतु
कृपालु महाराज पर अनियमितता बरतने का आक्षेप लगाते हुए कड़े कदम उठाने की
चेतावनी दी। उधर आश्रम ने कह दिया कि हमने फंक्शन हेतु सरकार से पोलीस
बंदोबस्त का निवेदन किया ही था, सो गलती सरकार की है। यह तो हुई मायावती व
कृपालुजी की बात, उधर चूंकि हादसा एक हिंदू धर्मगुरु के यहां हुआ था, इसलिए
मुलायम के तो उस धर्मगुरु को छोड़ने का सवाल ही नहीं उठता था। दूसरी तरफ 63
लोगों के मर जाने के बाद भी बीजेपी के चिंता जताने या कृपालु महाराज को
कोसने का सवाल नहीं उठता था। यह भी खूब राजनीति है देश की। वोटों की कीमत
के सामने लोगों की कीमत कुछ भी नहीं। यह तो ठीक, पर मजा यह कि राहुल गांधी
स्वयं दूसरे रोज मृतकों के परिवारवालों से सहानुभूति जताने आश्रम पहुंच गए
थे तथा मृतकों को न्याय दिलवाने की बात उन्होंने बड़ी ऊंची आवाज में कही थी।
परंतु फिर तीसरे रोज क्या हुआ कि इस बात की चर्चा ही बंद हो गई। मानो कुछ हुआ ही न हो। मायावती का कानून नदारद, मुलायम की मांग गायब, और राहुल गांधी की न्याय दिलवाने वाली बात तो कहां हवा हो गई, पता ही नहीं चला। इधर बीजेपी तो पहले भी चुप थी, सो अब भी चुप ही थी। यानी कृपालुजी की सबपर ऐसी तो कृपा बरसी कि देश के सारे बड़े नेता चुप। और चुप तो ऐसे चुप कि हादसे के साढ़े तीन महीने बाद यानी 21 जून 2010 को इन 63 लोगों की मृत्यु के मामले में कोर्ट में चार्जशीट भी फाइल हो गई, और उसमें कृपालुजी महाराज को क्लीन चिट भी दे दी गई। बोलो, पहुंच हो तो हमारे कानून को सत्य पता लगाने में देर ही कितनी लगती है? चलो, इन्वेस्टीगेशन और चार्जशीट के मामले को एकबार दरकिनार कर भी दें, पर इतना तो पूछ ही सकते हैं कि फिर कानून की हम लोगों पर इतनी अकृपा क्यों? हमारे तो घर या फैक्टरी में गलती से किसी को चोट भी लग जाए तो यही पोलीस और कानून हमारा जीना मुश्किल कर देता है। यहां तक कि नौकरों से ऊंची आवाज में बात करो तो भी बड़ा गुनाह हो जाता है। तो फिर इन 63 लोगों की जान का नेताओं और खुद कृपालुजी को कोई गम नहीं? कानून को इसमें इनका कोई दोष नजर नहीं आता है? यह तो किसी से छुपा नहीं है कि बड़े-बड़े औद्योगिक घरानों के कृपालुजी से बड़े गहरे संबंध हैं। और यह भी अब हम सभी को मालूम पड़ गया है कि ऐसा सब बार-बार इन तीनों यानी नेता, धर्मगुरु और उद्योगपतियों के नेक्सस के ही कारण होता है। कुल-मिलाकर कानून अब न्याय दिलवाने का नहीं, आम जनता को सताने का जरिया बन गया है। बाकी तो नेक्सस का कोई भी सदस्य कुछ भी क्यों न कर ले, गुनाह बनता ही नहीं है।
इससे तो हम गुलाम ही अच्छे थे। उस समय भी कुछ आवाज तो सुनी ही जाती थी। बस सवाल यही है कि इन सबसे हमारा छुटकारा कैसे हो? आप सोचो, और उपाय नजर आए तो सबको बताओ।
Daily Blog @ www.deeptrivedi.com
परंतु फिर तीसरे रोज क्या हुआ कि इस बात की चर्चा ही बंद हो गई। मानो कुछ हुआ ही न हो। मायावती का कानून नदारद, मुलायम की मांग गायब, और राहुल गांधी की न्याय दिलवाने वाली बात तो कहां हवा हो गई, पता ही नहीं चला। इधर बीजेपी तो पहले भी चुप थी, सो अब भी चुप ही थी। यानी कृपालुजी की सबपर ऐसी तो कृपा बरसी कि देश के सारे बड़े नेता चुप। और चुप तो ऐसे चुप कि हादसे के साढ़े तीन महीने बाद यानी 21 जून 2010 को इन 63 लोगों की मृत्यु के मामले में कोर्ट में चार्जशीट भी फाइल हो गई, और उसमें कृपालुजी महाराज को क्लीन चिट भी दे दी गई। बोलो, पहुंच हो तो हमारे कानून को सत्य पता लगाने में देर ही कितनी लगती है? चलो, इन्वेस्टीगेशन और चार्जशीट के मामले को एकबार दरकिनार कर भी दें, पर इतना तो पूछ ही सकते हैं कि फिर कानून की हम लोगों पर इतनी अकृपा क्यों? हमारे तो घर या फैक्टरी में गलती से किसी को चोट भी लग जाए तो यही पोलीस और कानून हमारा जीना मुश्किल कर देता है। यहां तक कि नौकरों से ऊंची आवाज में बात करो तो भी बड़ा गुनाह हो जाता है। तो फिर इन 63 लोगों की जान का नेताओं और खुद कृपालुजी को कोई गम नहीं? कानून को इसमें इनका कोई दोष नजर नहीं आता है? यह तो किसी से छुपा नहीं है कि बड़े-बड़े औद्योगिक घरानों के कृपालुजी से बड़े गहरे संबंध हैं। और यह भी अब हम सभी को मालूम पड़ गया है कि ऐसा सब बार-बार इन तीनों यानी नेता, धर्मगुरु और उद्योगपतियों के नेक्सस के ही कारण होता है। कुल-मिलाकर कानून अब न्याय दिलवाने का नहीं, आम जनता को सताने का जरिया बन गया है। बाकी तो नेक्सस का कोई भी सदस्य कुछ भी क्यों न कर ले, गुनाह बनता ही नहीं है।
इससे तो हम गुलाम ही अच्छे थे। उस समय भी कुछ आवाज तो सुनी ही जाती थी। बस सवाल यही है कि इन सबसे हमारा छुटकारा कैसे हो? आप सोचो, और उपाय नजर आए तो सबको बताओ।
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