- अरे, तुम इतने मरियल से क्यों दिख रहे हो?
तुम हो कौन?
- मैं आपकी बुद्धि हूँ।
- अच्छा! तो तुम्हारा यह हाल किसने किया?
- लो, कत्ल करने वाले ही कातिल का नाम पूछ रहे हैं
- मैंने क्या किया?
मेरा तो जीवन ही तुम हो
मैं तुम्हारा यह हाल कर ही कैसे सकता हूँ।
और फिर मैं तो बुद्धिमान हूँ...
मेरे भीतर तुम्हारा यह हाल हो ही कैसे सकता है?
- कर लो बात! आप बुद्धिमान हैं
यह आपकी गलतफहमी है
आप तो जब आवश्यकता होती है, मेरा उपयोग ही नहीं करते
जहां जरूरत नहीं होती वहां मुझे घिस डालते हैं
आपकी इसी हरकत के कारण मुझमें जंक लग गया है।
परंतु अब चेताए देती हूँ, जल्द ही नहीं सुधरे तो आपके चक्कर में
मुझे भी पागलखाने में भरती हो जाना पड़ेगा।
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