- भाई, इतने हताश क्यों हो?
- क्या करूं...?
मैं इतना बुद्धिमान हूँ, फिर भी कोई सफलता हाथ नहीं लग रही।
- अच्छा! आप बुद्धिमान हैं, यह आपने कैसे तय कर लिया?
- मैं ग्रेजुएट हूँ
तमाम विषयों की मुझे जानकारी है
मेरा बड़ा फें्रड-सर्कल है
सब मुझे मानते भी हैं।
- देखो मेरे भाई, इसे बुद्धिमानी नहीं कहते
आप कम्प्यूटर हो चुके हैं
जानकारियों का संग्रह।
...यानी आपको पानी का फॉरम्यूला तो मालूम है
परंतु कब और कितना पानी पीना यह नहीं मालूम
और ऐसे में आप अपने को बुद्धिमान नहीं कह सकते।
कहने का तात्पर्य कि आपको जानकारी हजार विषयों की क्यों न हो...
कोई मायना नहीं रखती
उससे तो बेहतर होता कि आपको एक विषय का ही ज्ञान होता और
उसी में भिड़ गए होते
अब तक तो सफलता के शिखर छू चुके होते।
- क्या करूं...?
मैं इतना बुद्धिमान हूँ, फिर भी कोई सफलता हाथ नहीं लग रही।
- अच्छा! आप बुद्धिमान हैं, यह आपने कैसे तय कर लिया?
- मैं ग्रेजुएट हूँ
तमाम विषयों की मुझे जानकारी है
मेरा बड़ा फें्रड-सर्कल है
सब मुझे मानते भी हैं।
- देखो मेरे भाई, इसे बुद्धिमानी नहीं कहते
आप कम्प्यूटर हो चुके हैं
जानकारियों का संग्रह।
...यानी आपको पानी का फॉरम्यूला तो मालूम है
परंतु कब और कितना पानी पीना यह नहीं मालूम
और ऐसे में आप अपने को बुद्धिमान नहीं कह सकते।
कहने का तात्पर्य कि आपको जानकारी हजार विषयों की क्यों न हो...
कोई मायना नहीं रखती
उससे तो बेहतर होता कि आपको एक विषय का ही ज्ञान होता और
उसी में भिड़ गए होते
अब तक तो सफलता के शिखर छू चुके होते।
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