- ऐ भाई! तुम कौन हो? मैंने तुम्हें पहचाना नहीं।
- लो, कर लो बात
‘मैं’ तुम्हारा कॉम्प्लेक्स हूँ।
- तुम कहां से आ टपके। मुझे तो कोई कॉम्प्लेक्स है ही नहीं
- सबसे बड़ा कॉम्प्लेक्स यही है।
- चल बात मत बना
बता मेरे अस्तित्व में तू है ही कहां?
- अच्छा! चौबीस घंटे मैं ही तुम्हें चला रहा हूँ
दिन-रात बुरा करते हो और मंदिर जाते हो
वह मैं नहीं तो और क्या है?
प्रेम है नहीं और जताते हो
जिस पर क्रोध है उसी के लिए उसके मुंह पर दुआ मांगते हो।
यह जो बात-बात पर तुम्हें उलटा करने और
जो है उसे छिपाने के लिए उकसा रहा है
वह मैं ही तो हूँ।
- धत् तेरे की।
- लो, कर लो बात
‘मैं’ तुम्हारा कॉम्प्लेक्स हूँ।
- तुम कहां से आ टपके। मुझे तो कोई कॉम्प्लेक्स है ही नहीं
- सबसे बड़ा कॉम्प्लेक्स यही है।
- चल बात मत बना
बता मेरे अस्तित्व में तू है ही कहां?
- अच्छा! चौबीस घंटे मैं ही तुम्हें चला रहा हूँ
दिन-रात बुरा करते हो और मंदिर जाते हो
वह मैं नहीं तो और क्या है?
प्रेम है नहीं और जताते हो
जिस पर क्रोध है उसी के लिए उसके मुंह पर दुआ मांगते हो।
यह जो बात-बात पर तुम्हें उलटा करने और
जो है उसे छिपाने के लिए उकसा रहा है
वह मैं ही तो हूँ।
- धत् तेरे की।
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