Saturday, January 11, 2014

स्टीफेन हॉकिंग


मन की सत्ता सर्वोपरि है- यह प्रख्यात भौतिकशास्त्री स्टीफेन हॉकिंग द्वारा स्थापित सिद्धांतों में से एक निरपवाद सिद्धांत है। जगत-प्रसिद्ध व्यक्तित्व के रूप में स्वयं को स्थापित करने हेतु बाह्य जगत में सम्भावनाओं को तलाशने के क्रम में हॉकिंग ने यह सिद्ध कर दिखाया कि जीवन में सफल होने के लिए सर्वांग-सम्पन्न शरीर का होना इतना आवश्यक नहीं है। आम्योत्रोपिक लेटरल स्केलेरोसिस (A­LS) से पीड़ित और 21 वर्ष की युवावस्था में ही इस कारण लकवे से ग्रसित व्यक्ति, जिसे डॉक्टरों ने लघु-जीवन की भविष्यवाणी सुना दी हो, का जीवन-चरित क्या अनुकरणीय नहीं है? इसे जीवन के प्रति प्रेम कहें या उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति या फिर सदभाग्य; हॉकिंग सभी डॉक्टरों की भविष्यवाणी को झुठलाते हुए 71 वर्ष की वृद्धावस्था तक आज भी जीवित हैं। हॉकिंग न केवल जीवित हैं बल्कि अपने जीवन के उद्देश्य को सफल करते हुए ब्रह्माण्ड-विज्ञान तथा क्वांटम मैकेनिक्स के क्षेत्र में निरंतर योगदान भी देते आ रहे हैं। आज वे अपनी बेटी-बेटों और नाती-पोतों के साथ इंग्लैण्ड में अपना 72 वां जन्मदिन मना रहे हैं।

आश्चर्य की बात तो यह है कि इस प्रौढ़ उम्र में और अत्यंत विकलांग अवस्था में भी यह भौतिकशास्त्री सभी समकालीन विज्ञान और तकनीक की जानकारी से पूरी तरह अवगत हैं। तरह-तरह के एप्लीकेशनों की रचना तथा पुस्तक-लेखन के द्वारा वे ब्रह्माण्ड की अपनी जानकारी लोगों में बांट रहे हैं तथा युवकों और बच्चों को मौलिक भौतिकशास्त्र एवं उनके प्रयोगों को समझने में मदद कर रहे हैं साथ ही उनकी कल्पना-शक्ति का विकास भी कर रहे हैं।

ऐसी दृढ़ इच्छाशक्ति रखनेवाले स्टीफेन हॉकिंग को हमारा नमन!

जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ

- दीप त्रिवेदी


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