‘‘भारत का तूफानी साधु’’, ‘‘वो अगर मंच से
केवल गुजरता भी है, तो भी उसकी जय-जयकार होती है’’, ‘‘वह एक ऐसा वक्ता है
जिसे बोलने का अधिकार सीधे ईश्वर से मिला है’’, ‘‘केसरिया वस्त्र धारण
करनेवाला साधु जिसका उसके श्रोताओं पर बड़ा गहरा असर पड़ता है’’ अभिवादन तथा
प्रशंसा की उपरोक्त कुछ झलकियां उस एक भारतीय को विदेशी भूमि पर पांव रखते
वक्त मिली जिन्होंने दुनिया को हिन्दुत्व से परिचित कराया साथ ही भारतीय
संस्कृति के सच्चे स्वरूप से भी उन्हें रू-ब-रू कराया।
एक भारतीय, जिसने निकोला तेसला और मैक्स म्यूलर जैसे महान
व्यक्तित्वों को प्रभावित किया- स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी सन 1863
में एक समृद्ध पारंपरिक बंगाली परिवार में हुआ। इनके माता-पिता ने इनका
नाम नरेंद्रनाथ दत्त रखा और प्यार से इनके माता-पिता इन्हें नरेन कहकर
बुलाते थे। इनका पालन-पोषण एक ऐसे वातावरण में हुआ जो पूरी तरह इनके
विद्वान पिता और भक्तिमयी माता से प्रभावित था। छोटे-से मासूम नरेन को,
जिसे आगे चलकर दुनिया स्वामी विवेकानंद के नाम से जानने लगी, एक चिड़चिड़े और
शरारती स्वभाव के बच्चे से प्रतिष्ठाप्राप्त सभ्य इंसान बनाने का श्रेय
इन्होंने हमेशा अपनी मां को ही दिया। आज अपने जन्म के 151 वर्ष बाद भी, वे
आधुनिक पश्चिमी जगत को पूर्व की पवित्रता और आध्यात्मिकता से परिचित कराने
और उसकी ओर प्रोत्साहित करने का सबसे प्रमुख जरिया हैं।
उन्होंने बिलकुल ठीक ही कहा था, ‘‘सच्चे, सरल तथा तेजस पुरुषों और
महिलाओं का एक छोटा-सा समूह एक साल में जो कार्य कर सकता है वह एक बड़ा झुंड
एक पूरी सदी में नहीं कर सकता।’’ आइए हम पूरे दिल से इन्हें प्रणाम करें
और इनके पदचिह्नों पर चलने का संकल्प करें।
- दीप त्रिवेदी
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