Thursday, January 2, 2014

क्रिसमस के पर्व पर विशेष

  

आज इस क्रिसमस के सप्ताह में मैं आपको अपने ही जीवन की एक बात बताता हूँ। मैं एकबार एक गांव से गुजर रहा था। वहां दूर मैंने एक किसान को बैल हांकते देखा। आश्चर्य यह कि वह बैलों को हांक भी रहा था और उन्हें गालियां भी दिए जा रहा था। मुझे उसका इस तरह बेजुबान पशुओं को गाली देना अच्छा नहीं लगा। मैंने उसे प्रेम से उसकी गलती समझाई। सीधा किसान था, बेचारे ने तुरंत अपने व्यवहार के लिए क्षमा मांग ली। यही नहीं, उसने भविष्य में बैलों को गालियां नहीं बोलने का वचन भी दिया।

             खैर, मैं उस दिन तो उसे समझाकर चलता बना परंतु करीब छः माह बाद मेरा फिर उस गांव से गुजरना हुआ। मैंने दूर से ही उस किसान को अपने खेत में बैल हांकते देखा। आश्चर्य यह कि वह अब भी बैलों को जोर-जोर से गालियां देकर ही हांक रहा था। मैं बड़ा दुःखी हुआ, सो सीधे उसकी तरफ का रुख किया। उधर जैसे ही मैं उसके निकट पहुंचा कि उसने मुझे देख लिया। थोड़ा घबराया भी, लेकिन जल्द ही सम्भलते हुए बैलों को संबोधित करता हुआ बोला- मेरे प्यारे बैलों! मैंने अभी जो तुम्हें गालियां दी, वैसी ही मैं क्राइस्ट से मिलने से पूर्व तुम्हें दिया करता था। बस आज तो मैंने तुम्हें उन गालियों की याद दिलवाई। सो मेरे बच्चों! क्राइस्ट का धन्यवाद मानो जो तुम्हें गालियां सुनने से छुटकारा मिल गया।

             निश्चित ही वह यह सब मुझे सुनाने हेतु ही कह रहा था। मैंने उससे इतना ही कहा- यह सब नाटक कर तुम न मुझे धोखा दे रहे हो न इन बैलों को; अंतिम धोखा तुम अपने-आप को दे रहे हो। बस वही बात इस क्रिसमस के सप्ताह में मैं तुम से भी कह देता हूँ। यह चर्च जाकर, बाइबल पढ़कर क्रिसमस मनाकर आप मुझे याद करने के जिस भ्रम में डालने की कोशिश कर रहे हैं, उससे मैं तो भ्रमित नहीं हो रहा हूँ परंतु इसके चलते आपलोग मेरे बाबत जरूर भ्रमित हो चुके हैं। सो आपके जीवन के लिए बेहतर होगा यदि आपलोग मुझे भ्रमित करने की कोशिश करने के बजाए मेरी बातों और मेरे जीवन को अपनाने की कोशिश करें। आपका उद्धार हो जाएगा। 

-         दीप त्रिवेदी
 


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